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भौतिक संसार के दुःख का कारण

हरे कृष्णा...  आज सुबह मैं उठा तोह सोचा की आज थोड़ा ट्रेडमिल पर रन किया जाये. जब भी मैं दौरता हूँ मेरी आदत है कुछ सुनने की. अधिकतर समय मुझे कुछ धार्मिक भजन या फिर सत्संग सुनना पसंद है. तोह फिर मैंने यूट्यूब पर कुछ सत्संग लगाया. यह दो घंटे का वीडियो था. पर आपको विश्वास नहीं होगा की यह वीडियो कब ख़त्म हो गया पता ही नहीं चला. इस वीडियो मैं कुछ गीता के श्लोक के बारे मैं बताया. यह गीता के अध्याय २ से श्लोक ६२ और ६३ है. ध्यायतो विषयान्पुंस: सङ्गस्तेषूपजायते |  सङ्गात्सञ्जायते काम: कामात्क्रोधोऽभिजायते || ६२||  इंद्रियों के विषयों पर चिंतन करते समय, व्यक्ति उनसे आसक्ति विकसित करता है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है, और इच्छा से क्रोध आता है।  क्रोधाद्भवति सम्मोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम: |  स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति || ६३||  क्रोध से निर्णय की शक्ति धुंधली हो जाती है, जिससे स्मृति में भ्रम पैदा होता है। जब स्मृति भ्रमित होती है, तो बुद्धि नष्ट हो जाती है; और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है, तो व्यक्ति बर्बाद हो जाता है।  मुझे यह दो श्लोक बहुत अच्छे लगे तोह सोचा आप लोगों से शेयर क